Wednesday, 20 May 2020

काल #कोविड काल# आपदा # देश # समाज #कविता # अलका माथुर

मर गया मजदूर, मर गया व्यापारी
पेट का सब चक्कर, न बची माहमारी
बचने, दूर रहने को न समझा, नरनारी
पलट उलट, उठ गई, सारी समझदारी
दाने पानी की, पहली होती, किलकारी
तन ढकना, दूजी, तब कहीं दुनियादारी
जिनको मिला, उनका दिमाक चलतजारी
भगवन और अम्फाल,ये तुम्हारी चम्तकारी?
२१.०५.२०२०
अलका