Tuesday, 28 May 2019

कुछ मन की बात# कविता# उलझन क्यों#अलकामाथुर


काम सवंर जाने के बाद
सफाई क्यो देते बार -बार
 गलती थी या शक हुआ

कुछ गुजरे पल जहन में
मन को उलझाये हुए है
प्यार किया , किसी से
या भरोसे ने जिन्दा रखा

 खोये है तमन्नाओ के रास्ते में
दर्द को रिसने नहीं देते
नकामीयों को ढ़ोये जाते है
कब्र मे इनकी जगह नहीं है

अलका माथुर
२९ - ५ -२०१९

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