Saturday, 16 December 2017

सोच और नियम मेरे (कविता)#व्यंग # अंधविशवास # अलका माथुर

        सोच और नियम मेरे

महान मुझे नहीं बनना है, सोच पसन्द और नियम बस अपने चाहिए!
खुद पर तो विशवास बहुत है, भगवन बस तेरा थोड़ा सा साथ चाहिए!
धर्म की जय जय कार करूँ,    मानवता का साथ उसमें मिला चाहिए!
पैसों की दरकार नहीं है, जीवन सामान्य, उसमे सबका साथ चाहिए!
हरियाली की बात करूँ, पेड़ पौधे ,     वातावरण भी साफ चाहिए!

शुभ अशुभ मैं नहीं जानू....
काली बिल्ली अशुभ नहीं है, बस रास्ता काटना नहीं चाहिए!
रंगो की बात निराली,       फ़ायदे से मेल बस बैठना चाहिए!
गोरे रंग से मोह नहीं ,उसके लिए बस थोड़ा थोड़ा सामान चाहिए!
मन से मैं एकदम साधू हूँ,      कपड़े महँगे ल्लनटॉप चाहिए!
मैं ही मैं हूँ , मैं ही जय हूँ ।........

16. 12. 2017
अल्का माथुर



डर (कविता # अपराध # कविता # अलका माथुर

पांच दरवाजों के पीछे
अँधेरी कोठरी
कई तालों के अन्दर
माँ मुझे छिपा कर
खाना खिलाती
सिर पर हाथ फेर
बार बार बहलाती
खुद को मुझको
कुछ भी नहीं
होने देगी!!
दिल धड़कने की
आहट से डर
चीर अँधेरे
तालों से हो कर
परछाईं उसकी आ जाती
कई सवाल
क्यों कैसे
समय किसका ख़राब
तुमको तो मरना ही था
मैने क्यों बेकाबू हो
गुस्से में पागल कर
झगड़ा बड़ा
होश गवां
तुम्हें मार
आप गवाया!!

अल्का माथुर
16 .12 .2017

Sunday, 3 December 2017

कविता ( ये मैं हूँ ,या मेरा तन है)# कविता # अलका माथुर

ये मैं हूँ ,या ये मेरा तन है ?

हर भाव का दर्पण है , हर एहसास का ये साथी है!
ये मैं हूँ , या ये मेरा तन है ?

इसी के साथ जीवन है, इसी की बात जीवन है !
गुरुर है किसी का कभी, मेरी मज़ाक का कारण है !!

श्रृंगार इसकी चाहत है , हर भोग का ये भागी है !
सजावट कितनी भी करलो, तन है , तो , बिमारी है!!

इन्द्रियों की चाल से चलता, फँसता और फंसाता है !
जल के ख़ाक होने तक, सांसो का ताना बाना है !!

ताज ये पहनता है , सूली पर लटकाया इसको जाता है !
स्वर्ण हिरण पाने की ज़िद में, राम सा वर खो देता है  !!

पहचान इसी तन से होती है, तस्वीरों में बच जाती है !
यादों में जो बच जाये , वो मैं हूँ , या मैं ये बस एक तन हूँ।।

03.12.2017
को
अलका माथुर
के मन से


Saturday, 2 December 2017

सिंघाड़े छुंके हुए (कचरी)(नाश्ता मजेदारऔर पौषटिक)

यूपी में सारे तालाब हरे हरे पौधो से भरें रहते है।सुन्दर दिखने वाले इन पौधों से सिंघाड़े एक कटीला फल उगता है।हरे बैंगनी रंग के फल स्वादिष्ट होते है ,
छिलका मोटा होता है ,छील कर नरम हो तो ऐसे ही बहुत स्वादिष्ट लगते है ,
वर्ना काट कर छौंक लें, नाश्ता तैयार!!

कचरी

कटे हुए सिंघाड़े
कसी अदरक
जीरा, नमक, अमचूर, हरी मिर्च, हरा धनिया
एक चम्मच तेल छौंक के लिए

 सिंघाड़े छील कर काट लें और धो कर रख लें।
तेल गरम करें ,कुकर या कढ़ाई में , छौंक के लिए उसमें आधा चम्मच जीरा डालें।
उसमें सिंघाड़े और अदरक डालें, हरी मिर्च भी छौंक में डाल सकते है।
नमक स्वादअनुसार मिलायें और सिंघाड़े बिना पानी के गल जाने दें।
ऊपर से अमचूर और हरा धनिया डाल कर परोसें।
जरूर बनाइये, बहुत ही स्वाद लगते है।