Wednesday, 17 October 2018

माँ काली की आरती

मंगल की सेवा, सुन मेरी देवा हाथ जोड़ तेरे दव्ार| खडे़।
पान सुपारी घ्वजा नारियल ले ज्वाला तेरी भेटं घरें।
सुन जगदम्बे!कर न विलंबे संतन के भन्डार भरें।
संतन पृतिपाली सदा खुशाली जै काली कल्याण करें।।१।।

बुद्घि विघाता तू जगमाता तू मेरे कारज सिद्घ करें।
चरणकमल का लिया आसरा शरण तुम्हारी आन परे।
जब जब भीर पडें भक्तन पर तब तब आय सहाय करें।
संतन पृतीपाली ...                                       ..      ।।२।।

बारबार तैं सब जग मोह्ओ तरूणी रूप अनूप धरें।
माता हो कर पुत्र खिलावैं, कहीं भायॉ भोग करें।
संतन सुखदाई , सदा सहाई संत खड़े जयकार करें।
संतन ----                                                    --   ।।३।।

बृम्हा विष्णू महेश फल लिये भेटं देने तेरे द्वार खड़े।
अटल सिंहासन बैंठी माता सिर सोने का छत्र धरें ।
बार शनिश्चर कुम कुम वरनी , जब लंकुर पर हुकुम करें।
संतन ---                                                       ---   ।।४।।

कुपित होय कर दानव मारे चण्ड मुन्ड सब चूर करें।
जब तुम देखों दया रूप हो , पल मे संकट दूर टरें।
सौम्य स्वभाव धरयौ मेरी माता,जन की अर्ज कबूल करें।
संतन ---                                                        -----।।५।।

सिहं पीठ पर चढ़ी भवानी अटल भवन में राज्य करें।
दर्शन पावें मंगल गावें सिध साधक तेरे भेंट करें।
संतन--                                                            -----।।६।।

र्बम्हा वेद पढे़ तेरे द्वारे शिव शंकर हरि ध्यान करें।
इन्दृ कृष्ण तेरी करें आरती चमर कुबेर डुलाय करें।
जय जननी, जय मातु भवानी, अचल भवन में राज्य करें।
संतन ----                                                      -------।।७।।

जय माता की🐯🌷🌹🌹🌸🌸🌷

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