Monday, 22 October 2018

दुर्गा मां की आरती और स्तुती

जय अम्बे गौरी, मईया जय अम्बे गौरी ।
तुमको निशिदिन घ्यावत हरि र्बह्मा शिवं री ।। जय ०
माँग सिंदुर बिराजत टीको मृगमद| को ।
उज्जल से दोउ  नैना, चन्द| वदन नी को ।। जय ०
कनक समान  कलेवर रक्ताम्बर|   राजे  ।
रक्त पुष्प गल माला , कष्ठन| पर| साजे  ।। जय ०
केहर  वाहन| राजत , खड्ग  खप्पर| धारी ।
सुर नर मुनी जन सेवत, तिनके दुखहारी ।। जय ०
कानन कुन्डल  शोभित , नासा गृे  मोती ।
कोटिकचन्र्द दिवा कर , सम राजत ज्योती ।।जय ०
शम्भू-निशम्भू विदारे , महिषा सुर घाती ।
धूमृविलोचन  नै ना , निशी दिन  मदमाती।।जय ०
चन्ड मुन्ड संहारे , शोणित बीज हरें ।
मधु - कैटभ दोउ मारे , सुर भयहीन करें।।जय ०
तुम बृम्हाणी ,रूदृाणी तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।जय ०
चौसठ योगिन मँगल, नृत्य करत भैंरव।
बाजत  ताल मृदंग और बाजत डमरू।।जय ०
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता ।
भक्तन की दुख हरता ,सुख  सम्पति करता।।जय०
 भुजा चार अति शोभित , खड्ग खपृ घारी।
मनवान्छित फल पावत , सेवत नर नारी ।।जय०
ञ्री अम्बे जी की आरती जो कोई नर गावैं ।
कहत शिवा नन्द स्वामी , सुख सम्पती पावैं ।।जय०
स्तुती-
रिध्दि दे ,सिध्दि दे ,वंश मे वृध्दि दें
हर्दय  मे ञान दें चित्त मे ध्यान दें
अभय वरदान दें दुख को दूर करो
सुख भरपूर करों जय अम्बे भवानी
सज्जन जो हित दें कुटुबं मे पृीत दें
जग मे जीत दें माया दें साया दें
निरोगी काया दें, मान सम्मान दें
सुख समृध्दि और ञान दें
जंग मे जीत दें महावर दान दें
शान्ती दें शक्ति दें भक्ती भर पूर दें
हैं अष्टमी भवानी ,है ऊँचा तेरा दवारा
है नीचे तेरी धारा,तू कर निस्तारा मेरा
सदा भवानी दाहिनी सम्मुख रहे गणेष
तीन देव रळा करें बम्हा विण्षू महेश।🙏

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