Wednesday, 30 September 2020

छत्तीसगढ़ स्पेशल (मुड़िया)# चावल स्नेक्स # छत्तिसगढ़ी व्यंजन विधी #

मुड़िया कई जगह बनाये जाते है,गुजरात में बनने वाले मुठिया में सूजी और बेसन को सब्जियों के साथ भाप में पका कर बनाया जाता है ।
छत्तीसगढ़ में चावल से बनाते है भाप में ही पकाते है।

मुठिया

2 कप पके चावल
2 बड़े चम्मच चावल का आटा
2 हरी मिर्च बारीक़ कटी
1/2कप फल्ली दाना
1 चम्मच घी
लहसुन बारीक़ कटा 1 चम्मच
1 चम्मच सरसों (राई)
1 चम्मच नमक

पके हुए चावल या बचे हुए चावल को 2 चम्मच दूध मिला कर अच्छी तरह मसल लें।मिक्सि का भी उपयोग कर सकते है।
अब इसमें चावल का आटा, मिर्च,लहसुन ,नमक और फल्ली दाना मिला लें।
थोड़ा पानी या दूध मिला कर सारी चीजें मिला कर नरम पेस्ट समान होना चाहिय इस तरह का ,जिससे मुट्ठी से शेप किया जा सके।
भाप में इनको पकाते है।
छत्तीसगढ़ में पानी उबालते है और स्टीम में या पानी में ही डाल कर उबाल लगाते है।
इसको रसम में या पतली दाल फ्राई में भी पकाते है।बस्तर तरफ खट्टी दाल बनाते है उनमे भी मुठिया पकाये जाते है ।
घी गरम करें और राई व् मिर्च का छौंक डाले।


Wednesday, 20 May 2020

काल #कोविड काल# आपदा # देश # समाज #कविता # अलका माथुर

मर गया मजदूर, मर गया व्यापारी
पेट का सब चक्कर, न बची माहमारी
बचने, दूर रहने को न समझा, नरनारी
पलट उलट, उठ गई, सारी समझदारी
दाने पानी की, पहली होती, किलकारी
तन ढकना, दूजी, तब कहीं दुनियादारी
जिनको मिला, उनका दिमाक चलतजारी
भगवन और अम्फाल,ये तुम्हारी चम्तकारी?
२१.०५.२०२०
अलका

Friday, 24 April 2020

डर # कविता # र्धम #अलका माथुर # समाजिक #देश

डर मुझे ही क्यों डरा रहा है
मुझे ही असर होगा इसका
क्यों रात दिन सताने लगा है
किस तरह की हवा चलपढ़ीहै
डर ही डराने लग गया है
बाल काटने  दाड़ी  बढ़ाने से डरता है
कुछ भी करने से चूकता नहीं है
विचारों में भटकनें  लगा है
अपनों की परवाह भूल गया है
रंजिशों को पालने लगा है
दम खम दिखाने लगा है
जड़े हवा में आ गई है
हवाएं डर बढ़ाने लगी है
डर ही डर बन गया है
अलका माथुर

Tuesday, 21 April 2020

लाल मेरे # युवा # कविता # देश प्रेम #अलका माथुर #वीरों को नमन

लाल मेरे

रक्त का प्रवाह तेज
धमनियों मे बह चला
आंख के आगेे अन्धेरा
दिल रौशनी से भरा
लाल की लाली से जगमग
हर किनारा हो गया

 रक्त का   प्रवाह तेज
ह्रदय धोकनी सा बजा
फतह को फतह करता
आंचल की लाज बचा
नजर नजर देख रहा
लालिमा है लाल रंग भर

फूल फल फला फूला
चमन चमन अपना वतन
चलना खिलना चलना चमकना
लाल लाल ललकार  लाल
 करतव कर कर कमाल
हर लाल लाज लाल हर

अलका माथुर
21.04.2020

Saturday, 4 April 2020

धिक्कार मुझे # कविता # कुछ करने की ललक # अलका माथुर

धिक्कार है ऐसे मानव तन पर
प्रकृती सा जो चित्रकार नहीं
बेकार शक्ती मेरे मानव तन की
देश मे गर कुछ निर्माण न हो
रोजी ,रोटी सन्साधन को
देश पर बोझ बना बैढूं....
जवान हूँ,लालच से लाचार हूँ पर
आँखें है, सुख ढूढती रहती पर
पैर है, तरक्की के पथ ,बढते नहीं पर
दिमाक है, आलस्य मे फंसा हुआ मगर
सोच है, रूढिवादि विचारो मे उलझी बस
कार्य बहुत कर सकता हूँ, नीद से उढ़ जाऊ जब।।
अलका माथुर
०४.०४.२०२०

Friday, 7 February 2020

नाकाम # कविता # मां का र्दद#अलका माथुर

कहीं तो चूक हुई मुझसे , बच्चा कैसे नाकाम हुआ
अनपढ़ ,अन्जान, अर्कमण्य, क्यों वह भटक रहा,घूम रहा
घर देश को निर्धन करता, उसमें कमियां ढूंड रहा

मॉ की ममता मे स्वार्थ परखता , दोष समय मे खोज रहा
कमजोर बनता , किस्मत की गोद मे बैठ रहा ।।
अलका माथुर
०८.०२.२०२०