डर मुझे ही क्यों डरा रहा है
मुझे ही असर होगा इसका
क्यों रात दिन सताने लगा है
किस तरह की हवा चलपढ़ीहै
डर ही डराने लग गया है
बाल काटने दाड़ी बढ़ाने से डरता है
कुछ भी करने से चूकता नहीं है
विचारों में भटकनें लगा है
अपनों की परवाह भूल गया है
रंजिशों को पालने लगा है
दम खम दिखाने लगा है
जड़े हवा में आ गई है
हवाएं डर बढ़ाने लगी है
डर ही डर बन गया है
अलका माथुर
मुझे ही असर होगा इसका
क्यों रात दिन सताने लगा है
किस तरह की हवा चलपढ़ीहै
डर ही डराने लग गया है
बाल काटने दाड़ी बढ़ाने से डरता है
कुछ भी करने से चूकता नहीं है
विचारों में भटकनें लगा है
अपनों की परवाह भूल गया है
रंजिशों को पालने लगा है
दम खम दिखाने लगा है
जड़े हवा में आ गई है
हवाएं डर बढ़ाने लगी है
डर ही डर बन गया है
अलका माथुर
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