Friday, 13 April 2018

अपराध (कविता)# समाज #परिवार # देश # ध्रणित #कविता #अलका माथुर

उढो आज आवाहन करती, मासूमो की आँखे
घृणित अत्याचारी को दो सजा समतुल्य !
कोर्ट कचहरी से भी पहले ,
बेटा - पति या बेटी - पत्नी ..हर रिश्ते पर हो
मानवता भारी , देश प्रेम को कर सर्वोपरि
परिवार - संबंधो की मार दिला दो
अपराध से पहले ही धमका दो !
भागीदार परिवार कोई न हो !

हर परिवार ,हर इकाई  - एक पंखुड़ी
जीवित रखे बगिया मासूमो की
अपराधी को सजा दिला दो!!

Thursday, 12 April 2018

सोशल मिडिया (कविता)#ञान #कविता # व्यंग # फोरर्वड # अलका माथुर द्वारा

ख़ाली बैठा दुकानदार , मोबाईल पर लगा था
ज्ञान पा रहा था , गदगद हो रहा था,
कुछ करना चाहिए , सोच में फंसा था !

पूण्य जरूर कमाना चाहिए, मोह नहीं करना
मजबूर को आधे ही दाम में दे देना , तय था

उदास नवजवान , दुकान में उसी छ्ण घुसा
केक के दाम पूँछ , सोच में डूब रहा था
पर्स को कभी , कभी बाहर देख रहा था

कम दे देना भाई , कोई बात नहीं दुकानदार बोला
बच्चा जिद कर बैठा, पापा केक जरूर लाना
पेट भर खाना नहीं , ज़िद कहाँ से पूरी करूँगा
मन नहीं माना सो घुस गया ,दुकान पर
आप मुझको माफ़ कर देना, गलती स्वीकारता

दिल पसीजा, केक ,केंडल ,गुबारे सहित दिया
बच्चे को आशीष देने ,ख़ुशी को बढ़ाने
दुकानदार बहार आने लगा ,
आँखे नम हो गई , नज़ारा देख कर
दया , मेहनत मजबूरी  कैसा बिजनेस बन रही
केक वही बेच , पैसे गिनता युवक , कही जा रहा था

अल्का माथुर
11 . 04 . 2018


Tuesday, 10 April 2018

विचार| (कविता)# दाम्पत्य # आचरण #कविता # अलका माथुर

सोच मेरी कभी,उनसे मिलती नहीं है!
दुख उन्हें देती , मैं सोचती ही क्यों हूँ ।

अबला बने रहना , अक्सर ठीक है !
बहादुरी किसे दिखती है बेबसी के आईने में।

विचार तरंगों से अक्सर , टीस उठती है !
द्रण चटटानों से , टकरा कर टूटती बिखरती है।

वहाव तेज़ हो , तभी रास्ता बदलती है !
किनारों से बंधी , अनमनी नदिया बहती है।

अल्का माथुर
10 . 4 . 2018

Thursday, 5 April 2018

तबक मांस (कश्मीरी व्यंजन )# मटन व्यन्जन विधि # अलका माथुर

कश्मीर देश का ख़ूबसूरत हिस्सा है यहाँ के व्यंजन भी बेहद स्वादिष्ट और सादे तरह से पकाये हुए होते है।
तबक मांस बहुत पसंदीदा और लाज़वाब मीट होता है।समय लगता है लेकिन वो परिणाम को देखते हुए कुछ भी नहीं है।

तबक मांस - तली रिब्स

1 kg  मटन रिब्स
2 कप दूध
2 चम्मच अदरक
2 चम्मच लहसुन
1 चम्मच पिसा सौंफ
1 चम्मच पिसी सौंठ
साबुत गरम मसाला  4 लौंग, 8 काली मिर्च ,1 टुकड़ा दालचीनी  और 2 तेजपत्ते
2 चम्मच मैदा
2 चम्मच नमक और थोड़ा सा और
थोड़ा सा देसी घी

मटन को बड़े टुकडे में लें और साफ कर लें।
एक बड़े बर्तन में तीन गिलास पानी उबालने रखें।
उबाल आने पर उसमें नमक और सब मसाले डालें।
एक चम्मच घी डालें।
इसमें सारे रिब्स (मटन) डालें और उबलने दें।
खड़े मसालों के बाद कुटा लहसुन अदरक और सौंफ  और सोंठ भी डालें।
आधा घन्टे घीमी आँच पर उबलने देवे।

आँच से हटायें और मटन के टुकड़े अलग कर लें।
बचे पानी को छन्नी से छानें और दुबारा आँच पर चढ़ाये ,उबाल आने पर उसमें गरम दूध और मटन के टुकड़े डालें और पानी लगभग सूख जाने तक पकने दें मध्यम आँच पर ,ध्यान रहे जलना या चिपकना नहीं चाहिए।

मैदा या फाइन ब्रेड क्रम्स बहुत थोड़े से रिब्स पर बुरके और मनपसन्द आकर के रिब्स काट लें।
एक चम्मच देसी घी पेन पर लगाये और टुकड़ो को ढ़क कर दोनों तरफ से क्रिस्प सेकें।
ये नरम , क्रिस्प और फ़्लेवर से भरें होते है की बार बार आप यही बनाना चाहेंगी।

Tuesday, 3 April 2018

न माँ की गोद , न पिता का संग (कविता)# अन्त # चंद याद #

पुरानी देह हारी, अंग अंग धोखा दे रहा !
चरम पर पीड़ा हुई, मस्तिष्क भरम में रहा !
पुतलिया ढक भी गई ,मोह भंग होने चला !
साँस बंद हो गई ,ख़ाक बाकी रह गई !
तस्वीर को माला पहना , समय आगे चल पड़ा ।।

अल्का