उढो आज आवाहन करती, मासूमो की आँखे
घृणित अत्याचारी को दो सजा समतुल्य !
कोर्ट कचहरी से भी पहले ,
बेटा - पति या बेटी - पत्नी ..हर रिश्ते पर हो
मानवता भारी , देश प्रेम को कर सर्वोपरि
परिवार - संबंधो की मार दिला दो
अपराध से पहले ही धमका दो !
भागीदार परिवार कोई न हो !
हर परिवार ,हर इकाई - एक पंखुड़ी
जीवित रखे बगिया मासूमो की
अपराधी को सजा दिला दो!!
घृणित अत्याचारी को दो सजा समतुल्य !
कोर्ट कचहरी से भी पहले ,
बेटा - पति या बेटी - पत्नी ..हर रिश्ते पर हो
मानवता भारी , देश प्रेम को कर सर्वोपरि
परिवार - संबंधो की मार दिला दो
अपराध से पहले ही धमका दो !
भागीदार परिवार कोई न हो !
हर परिवार ,हर इकाई - एक पंखुड़ी
जीवित रखे बगिया मासूमो की
अपराधी को सजा दिला दो!!