पुरानी देह हारी, अंग अंग धोखा दे रहा !
चरम पर पीड़ा हुई, मस्तिष्क भरम में रहा !
पुतलिया ढक भी गई ,मोह भंग होने चला !
साँस बंद हो गई ,ख़ाक बाकी रह गई !
तस्वीर को माला पहना , समय आगे चल पड़ा ।।
अल्का
चरम पर पीड़ा हुई, मस्तिष्क भरम में रहा !
पुतलिया ढक भी गई ,मोह भंग होने चला !
साँस बंद हो गई ,ख़ाक बाकी रह गई !
तस्वीर को माला पहना , समय आगे चल पड़ा ।।
अल्का
Nice words
ReplyDeleteWowwww...... beautiful feeling
Delete