गुलकन्द बनाने से पहले गुलाब के बारे में कुछ बात करती हूँ। लाल रंग के तेज़ खुशबू वाले ,एक साथ बीस तीस फूल खिले हुए, बड़े बड़े झाड़ हर आँगन में लगे रहते थे, घर के मंदिर में रोज़ फूल बदले जाते थे ।आज भी इनका इस्तेमाल वही है ,अन्तर ये है कि छोटे घरों में गुलाब के हाइब्रिड पौधे लगाते है ,जो बहुत सुन्दर होते है ,फूल कम संख्या में उगते है।
गुलाब की पत्ती का स्वाद और खुशबु दोनों ही इतने पसन्द किये जाते है , ताजे गुलाब भी खाने में उपयोग होने लगे है। गुलाब से सजे केक और पत्ते डाले हुए डिश आम बात है।
गुलाब जल , गुलाब का शरबत, गुलकंद और इत्र का बनाना घर में या इसका व्यवसाय सब प्रचलित है।
गुलाब की पत्ती को सुखा कर रख लें तो भी खुशबू नहीं जाती है।
गुलाब की पत्ती का स्वाद और खुशबु दोनों ही इतने पसन्द किये जाते है , ताजे गुलाब भी खाने में उपयोग होने लगे है। गुलाब से सजे केक और पत्ते डाले हुए डिश आम बात है।
गुलाब जल , गुलाब का शरबत, गुलकंद और इत्र का बनाना घर में या इसका व्यवसाय सब प्रचलित है।
गुलाब की पत्ती को सुखा कर रख लें तो भी खुशबू नहीं जाती है।
गुलकंद बनाने की विधी
एक कप गुलाब की पत्ती
4 चम्मच चीनी
एक चम्मच शहद
तीनो चीज़ो को हाथ से मिलायें पत्तियों से रस थोड़ा चीनी में मिल जाये और पत्ते बिलकुल पिसे नहीं।
इसको तुरन्त उपयोग करना हो तो धीमी आँच पर चीनी घुल जाने तक पकाये।
धूप के शीशी में कर के रखें ,एक हफ्ते में या तस दिन में बनने लगता है।
गुलकंद में मन पसन्द सौंफ, इलायची और नारियल मिला कर भी खिलाया जा सकता है।
अचार बनाने वाली सावधानी भी जरुरी है , पत्तो को धो कर कपडे पर सुखाये, पानी से ख़राब हो जायेगा।
No comments:
Post a Comment