तिल की ताहसीर गर्म होती है ठंड के दिनों में इसका उपयोग बहुत अच्छा है ।रेवड़ी,गज़क और तिल से बनने वाली तिल कूट और तिल बुग्गा सब प्रकार से तिल खाना अच्छा लगता है।
मेरठ और ग्वालियर की गज़क खास तौर से बहुत मश्हूर होती है।
चीनी और गुड़ को अलग तापमान तक पकायें तो उनकी अलग ही गुण और स्वाद और रूप उजागर होता है।हर मिठाई को बनाते समय इसी तापमान तक चीनी को पंहुचाना ही सबसे महत्वपूर्ण होता है।
आम भाषा में हम इसको एक तार, दो तार, तिन तार की चाशनी कहते है।
सोन पापड़ी और गज़क दोनों के लिए 4 तार की चाशनी बनाते है और उसको जमने के पहले भुने तिल मिला कर खीचा जाता है और बहुत ही करारी गज़क तैयार की जाती है।
इसको बनाने वाले बहुत मेहनती और कुशल कारीगर होते है।कई घंटे की मेहनत के बाद ट्रे में जमाया जाता है।
बहुत प्रकार की गज़क और लड्डू बनते है,मुट्ठी की गजक में काजू और पिस्ते दाल कर गोल आकर में बनाई जाती है।
तिल कूट
100 ग्राम तिल (धोया और सुखाया हुआ )
100 ग्राम गुड़
1 चम्मच घी
घी में तिल को भूनें ,धीमी आंच पर।
गुड़ के साथ कूट लें।
ऐसे ही चूर संकट चतुर्थी के व्रत के लिए बनाया जाता है।
तिल के लड्डू
तिल बुग्गा
100 ग्राम खोए
100 ग्राम तिल
400 ग्राम बूरा या पिसी चीनी
1 चम्मच घी
घी गरम करें और तिल को भूनें ,धीमी आँच पर।
फोड़ कर खोये को तिल में डाले और दस मिनिट तक भूनने दें।
बूरा मिलायें और आँच से उतार लें ,ठंडा होने तक चलाते रहें।
धीमें हाथ से छोटे लड्डू बनाये और परोसें।
जाड़े के मौसम में पेड़े का यही रूप बहुत पसंद आता है।
मेरठ और ग्वालियर की गज़क खास तौर से बहुत मश्हूर होती है।
चीनी और गुड़ को अलग तापमान तक पकायें तो उनकी अलग ही गुण और स्वाद और रूप उजागर होता है।हर मिठाई को बनाते समय इसी तापमान तक चीनी को पंहुचाना ही सबसे महत्वपूर्ण होता है।
आम भाषा में हम इसको एक तार, दो तार, तिन तार की चाशनी कहते है।
सोन पापड़ी और गज़क दोनों के लिए 4 तार की चाशनी बनाते है और उसको जमने के पहले भुने तिल मिला कर खीचा जाता है और बहुत ही करारी गज़क तैयार की जाती है।
इसको बनाने वाले बहुत मेहनती और कुशल कारीगर होते है।कई घंटे की मेहनत के बाद ट्रे में जमाया जाता है।
बहुत प्रकार की गज़क और लड्डू बनते है,मुट्ठी की गजक में काजू और पिस्ते दाल कर गोल आकर में बनाई जाती है।
तिल कूट
100 ग्राम तिल (धोया और सुखाया हुआ )
100 ग्राम गुड़
1 चम्मच घी
घी में तिल को भूनें ,धीमी आंच पर।
गुड़ के साथ कूट लें।
ऐसे ही चूर संकट चतुर्थी के व्रत के लिए बनाया जाता है।
तिल के लड्डू
तिल बुग्गा
100 ग्राम खोए
100 ग्राम तिल
400 ग्राम बूरा या पिसी चीनी
1 चम्मच घी
घी गरम करें और तिल को भूनें ,धीमी आँच पर।
फोड़ कर खोये को तिल में डाले और दस मिनिट तक भूनने दें।
बूरा मिलायें और आँच से उतार लें ,ठंडा होने तक चलाते रहें।
धीमें हाथ से छोटे लड्डू बनाये और परोसें।
जाड़े के मौसम में पेड़े का यही रूप बहुत पसंद आता है।
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