माथुरों में दशहरे की पूजा के दो ख़ास चरण है ।एक दशहरा लिखना जो घर के मर्द लिखते है ,जिसकी विशेषता होती है कि खर्चे में आमदनी से एक ज़ीरो ज्यादा लिखा जाता है।
ये क्यों शुरू हुआ होगा? - बुराई की पूजा के लिए या उस कमजोरी को सुधारने के लिए ??? विचार करने योग्य बात ...
ये क्यों शुरू हुआ होगा? - बुराई की पूजा के लिए या उस कमजोरी को सुधारने के लिए ??? विचार करने योग्य बात ...
कुछ कुछ इसी तरह सबके घर में लिखते है।
सब लोग इस लिखे पर अपने नाम लिखते है।समय के साथ अब महिला वर्ग भी अपने नाम लिखते है वो भी पैसे कमाने जाते है।
सरस्वतीजी की पूजा करने के साथ सभी माथुरों की पूजा में कलम दवात की पूजा जरूर होती है।
हमारे घर में दशहरे की पूजा आँगन में होती थी,गोबर से लीप कर जगह को बड़ी सी हल्दी चावल की चौक लगाते और गोबर की आकृती कोनों में रख कर उन पर तोरई के फूल भी लगते थे।
हथियारों की पूजा करते थे इसलिए किला नुमा बनाते होंगे शायद!!
टीके होना,गोदी देना और भोग लगाना और बच्चों को पैसे उपहार देना तो पूजा और ख़ुशी मानाने का जरुरी अंग है।
आप सभी को दशहरे की शुभ कामनाये !!
30.9.2017
अल्का माथुर
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