सारा समय गवाय
कुछ करने को मतवाला मन, सोचे इतना काय !
सही गलत की उधेड़ बुन मे, कुछ भी कर न पाय!
पेट पालने चाकरी करता,मन को किसके भाय !
अपनों का भी ख्याल नहीं,बस लालच बढ़ता जाय!
मैं नहीं था जब तक मुझमे,माँ की गोद, सब पा जाय!
मैं प्रशन और अभिमान,विचारों में फ़स समय गवाय!
कल की गलती,कल की चिंता, दोनो रहे आज डुबाय !
जानत उसके आधीन है सारा, परिणाम सोच सोच घबराय!
उधार, आभार और उपकार,किसी का अभी नही चुकाय!
क्षण में होती प्रभु से प्रीति, यमराज से मोहलत मांगे काहे!!
माँ की गोद सी प्रभु की गोद, जा में सारा संसार समाय !
बीता समय कब वापस पाये,कर लें काम और सही उपाय।।
19 नवंबर 2017
अल्का माथुर
कुछ करने को मतवाला मन, सोचे इतना काय !
सही गलत की उधेड़ बुन मे, कुछ भी कर न पाय!
पेट पालने चाकरी करता,मन को किसके भाय !
अपनों का भी ख्याल नहीं,बस लालच बढ़ता जाय!
मैं नहीं था जब तक मुझमे,माँ की गोद, सब पा जाय!
मैं प्रशन और अभिमान,विचारों में फ़स समय गवाय!
कल की गलती,कल की चिंता, दोनो रहे आज डुबाय !
जानत उसके आधीन है सारा, परिणाम सोच सोच घबराय!
उधार, आभार और उपकार,किसी का अभी नही चुकाय!
क्षण में होती प्रभु से प्रीति, यमराज से मोहलत मांगे काहे!!
माँ की गोद सी प्रभु की गोद, जा में सारा संसार समाय !
बीता समय कब वापस पाये,कर लें काम और सही उपाय।।
19 नवंबर 2017
अल्का माथुर
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