Wednesday, 24 January 2018

(कविता )- चाहत ज़रूरत को ..#समाज #देश #कविता# अलका माथुर

जीभ चटकारे लें रहीँ
पेट भूख़ से तड़फ रहें!
धड़ अकड़ कर चल रहें
सिर कट कर गिर रहें !!
पांव ताल पर थिरक रहें
धावों से रक्त रिस रहें हैं!
शौक़ अंग प्रदर्शन कर रहा
तन ढांकने को तरस रहा!!
वस्त्र महंगे हो गए
कफ़न मुफ़्त बंट रहे!
चाहत जरूरत से गलबहियां कर रही।


25 / 01 / 2018

अल्का माथुर

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