Monday, 30 October 2017

जुदाई (कविता) # जुड़ाव # प्रेम # अलका माथुर

                जुदाई-

जुदा तुमसे क्या हुए, मायूसी ने इस कदर घेरा!
दिल धड़कता ही नहीं,सांसे चलती रहती वेवजह!!

तुम्हारी हर पसंद  ,मेरी, पसन्द हो, नही हो!
तुम हो मेरी पसंद , इतना यकीन तो करो!!

तकरार के बहाने ,मिलते रहते थे बार बार!
बात करने ,रूढ़ने मनाने की नियत हज़ार!!

झगड़ते देख भी लोगे, बिखरते नहीं देखोगे कभी!
सुकून साथ है अपना,दूर हो न जाना,दूर रह के कभी।

नाराज़गी का सिलसिला,टूटने न पाये कभी भी!
मौत ही जुदाई हो ,न उससे शिकायत न चले बहाना।।

अल्का माथुर
31 - 10 - 2017


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