Monday, 1 May 2017

नशा (कविता)# शराबी # जन्नत # अलका माथुर

नशा एक लत है,लालसा भी है...
साथी साथ है ख़ुशी में,नहीं है तो गम में!
सारी इंद्रिया इसकी वशीभूत,बफाइ क्या..
न कल थी न आज होती है चिंता कुछ और !
जन्नत और गम सिर्फ शराबी को ही नसीब !!
पैसा अगर नहीं हो,उधारी से गम दूर होते है।

बिना इसके नहीं सजती कहीं भी महफ़िल!
रंग जमाने के लिए हरशाम शराब छलकाते है!
दोस्त की मौजूदगी का एहसास तभी होता है,
गौर से देखो तब जा कर उसकी शक्ल दिखती हो!
जाम हाथ में हो ,तभी सही पहचान हो पाती है,
इंसान की अच्छाई और दोस्त की सच्चाई की!
अच्छा और अच्छा और बुरे की बुराई उभर आती है।

शराब हरहाल में ,एकदम जरुरी हो जाती जिनकी!
बद हाल, बद होश हो,सेहत की किसको फ़िक्र रहे!
जबान लड़खड़ा जाये,खुद बेशक लुढक जाये ...
शारीर खोखला ही भला,प्रिय शराब प्यारी है!!
तू नर है,निराशा से तेरा क्या लेना देना....
परिवार हताश होता क्यों,जलती दुनिया सारी है।

नशा एक जुनून भी,जीने मरने कुछ करने का!
किसको कौन रोके ,कौन किसी को टोके गा!!
जुनून तू कभी मत हारना, कभी भी किसी लत के आगे।।

---------------अलका माथुर
       1- 5 - 2017




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