1 हरषि परस्पर मिलन हित
दूल्हा दुल्हन हो रहे उतावले
भुआ धड़ी धड़ी नजर उतारे
बहने जाये बलिहारी।।
2 - पंच सबद धुनि मंगल गाना
पट परहि विधि नाना।
राम सिया सकल सुमंगल अंग बनाएं
दोनों गवनु मंडप तब कीन्हा।।
3 - चितवन में प्रिय तम का ध्यान धरे
नवग्रह में इठलाती प्रिय ........
खुशियों से घर सदा हरा भरा
आशीष बड़ो की सदा रहे
और प्रभू की असीम कृपा।।
4 - त्रिपुरा री शिव और पार्वती गौरा गणेश
प्रथम विनती आपसे करिये कारज सिद्ध
सदा सुहागन ........खुशियाँ अनेकानेक।।।
5 - नुपुर की रुनझुन हो कंगनों का गीत हो
सौरभ बरसाती चलो,संग में मनमीत हो।।
6 - आशा दीप जले नव पथ पर
धुंधले सपने जग जाये
सुख संसार बंधे आँचल में
दुःख द्वंद सभी मिट जाये
7 - आलिंगन रवि ऊषा का
अभिसार पवन सौरभ से
लहरों के तट चुम्बन संग
तू चल सुहाग वैभव ले।।।
8 - मंगल लग्न का महूर्त आया
खुशियो की सौगात लाया
अति चाव से सबने ....को सजा
मनमोहिनी दुल्हन बनाया।।
9 - अक्षय हो सोभाग्य तुम्हारा
सुख सुहाग की लाली
प्रेम ज्योति से दोनों कुल
फैले शुभ उजियारी।।
10 - जाओ प्यारी सहज भाव से
अपनाओ उस घर को आज
रसमय सुखमय जीवन होये
करो पति के मन पे राज ।।
11 - जीवन के नव पथ पर बिखरी
मधु बसंत की सुरभि प्यारी
शील प्रेम की मधुधारा से
सिंचित करना क्यारी क्यारी ।।
दूल्हा दुल्हन हो रहे उतावले
भुआ धड़ी धड़ी नजर उतारे
बहने जाये बलिहारी।।
2 - पंच सबद धुनि मंगल गाना
पट परहि विधि नाना।
राम सिया सकल सुमंगल अंग बनाएं
दोनों गवनु मंडप तब कीन्हा।।
3 - चितवन में प्रिय तम का ध्यान धरे
नवग्रह में इठलाती प्रिय ........
खुशियों से घर सदा हरा भरा
आशीष बड़ो की सदा रहे
और प्रभू की असीम कृपा।।
4 - त्रिपुरा री शिव और पार्वती गौरा गणेश
प्रथम विनती आपसे करिये कारज सिद्ध
सदा सुहागन ........खुशियाँ अनेकानेक।।।
5 - नुपुर की रुनझुन हो कंगनों का गीत हो
सौरभ बरसाती चलो,संग में मनमीत हो।।
6 - आशा दीप जले नव पथ पर
धुंधले सपने जग जाये
सुख संसार बंधे आँचल में
दुःख द्वंद सभी मिट जाये
7 - आलिंगन रवि ऊषा का
अभिसार पवन सौरभ से
लहरों के तट चुम्बन संग
तू चल सुहाग वैभव ले।।।
8 - मंगल लग्न का महूर्त आया
खुशियो की सौगात लाया
अति चाव से सबने ....को सजा
मनमोहिनी दुल्हन बनाया।।
9 - अक्षय हो सोभाग्य तुम्हारा
सुख सुहाग की लाली
प्रेम ज्योति से दोनों कुल
फैले शुभ उजियारी।।
10 - जाओ प्यारी सहज भाव से
अपनाओ उस घर को आज
रसमय सुखमय जीवन होये
करो पति के मन पे राज ।।
11 - जीवन के नव पथ पर बिखरी
मधु बसंत की सुरभि प्यारी
शील प्रेम की मधुधारा से
सिंचित करना क्यारी क्यारी ।।
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