Thursday, 16 February 2017

माथुरों की शादी (दोहे) (11)

1 हरषि परस्पर मिलन हित
  दूल्हा दुल्हन हो रहे उतावले
 भुआ धड़ी धड़ी नजर उतारे
 बहने जाये बलिहारी।।

2 - पंच सबद धुनि मंगल गाना
    पट परहि विधि नाना।
    राम सिया सकल सुमंगल अंग बनाएं
    दोनों गवनु मंडप तब कीन्हा।।

3 - चितवन में प्रिय तम का ध्यान धरे
     नवग्रह में इठलाती  प्रिय  ........
      खुशियों से घर सदा हरा भरा
      आशीष बड़ो की सदा रहे
    और प्रभू की असीम कृपा।।

4 - त्रिपुरा री शिव और पार्वती गौरा गणेश
     प्रथम विनती आपसे करिये कारज सिद्ध
    सदा सुहागन ........खुशियाँ अनेकानेक।।।

5 - नुपुर की रुनझुन हो कंगनों का गीत हो
     सौरभ बरसाती चलो,संग में मनमीत हो।।

6 - आशा दीप जले नव पथ पर
     धुंधले सपने जग जाये
      सुख संसार बंधे आँचल में
     दुःख द्वंद सभी मिट जाये

7 - आलिंगन रवि ऊषा का
    अभिसार पवन सौरभ से
    लहरों के तट चुम्बन संग
  तू चल सुहाग वैभव   ले।।।

8   - मंगल लग्न का महूर्त आया
       खुशियो की सौगात लाया
       अति चाव से सबने ....को सजा
        मनमोहिनी दुल्हन  बनाया।।

 9 - अक्षय हो सोभाग्य तुम्हारा
     सुख सुहाग की लाली
     प्रेम ज्योति से दोनों कुल
    फैले शुभ  उजियारी।।

10 - जाओ प्यारी सहज भाव से
      अपनाओ उस घर को आज
     रसमय सुखमय जीवन होये
     करो पति के मन पे राज ।।

11 - जीवन के नव पथ पर बिखरी
       मधु बसंत की सुरभि प्यारी
      शील प्रेम की मधुधारा से
      सिंचित करना क्यारी क्यारी ।।

No comments:

Post a Comment