माथुर समाज में शादी में लड़की के लिए दोनों पक्ष से बहुत सी साड़िया और ड्रेस्स बनती है।जिन्हें बहुत खूबसूरती से सजाते है हर पैकिंग को तीहल कहते है।
तीहल के ऊपर हाथ से पेंट किये कार्ड लगे होते है उन पर सुन्दर आशीर्वाद स्वरुप दोहे लिखें जाते है।
सभी लोग खुद दोहे नहीं बना पाते !पुराने दूसरे दोहों ने नाम बदल कर लिख देते है ।
रामायण में भी इस तरह के आशीर्वाद है।
1 - होईहु संतत पियहि पिआरि
चिरू अहिबात असीस हमारी
अचल होऊ अहिवतु तुम्हारा
जब लगि गंग जमुन जल धारा
2 - मनु चाहि राचेउ मिलिहि सो वरु
सहज सुन्दर सांवरो
करुना निधान सुजान
सीलू सनेहु जानत रावरो।।
3 - रचे रुचिर बद बंद निवारे
मनहु मनोभव फंद सँवारे
मंगल कलश अनेक बनाए
ध्वज पताक पट चमर सुहाए।।
तीहल के ऊपर हाथ से पेंट किये कार्ड लगे होते है उन पर सुन्दर आशीर्वाद स्वरुप दोहे लिखें जाते है।
सभी लोग खुद दोहे नहीं बना पाते !पुराने दूसरे दोहों ने नाम बदल कर लिख देते है ।
रामायण में भी इस तरह के आशीर्वाद है।
1 - होईहु संतत पियहि पिआरि
चिरू अहिबात असीस हमारी
अचल होऊ अहिवतु तुम्हारा
जब लगि गंग जमुन जल धारा
2 - मनु चाहि राचेउ मिलिहि सो वरु
सहज सुन्दर सांवरो
करुना निधान सुजान
सीलू सनेहु जानत रावरो।।
3 - रचे रुचिर बद बंद निवारे
मनहु मनोभव फंद सँवारे
मंगल कलश अनेक बनाए
ध्वज पताक पट चमर सुहाए।।
4 - गावहि सुन्दरि मंगल गीता
लै लै नामु रामु और सीता।।
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