ज़िद को कैसे छोड़ू
लाख मनाऊँ दिल को, ज़िद को कैसे छोड़ू मैं !
लगन कम न मेहनत कम, हिम्मत थोड़ी कम है !!
लाख हाथ पैर चलाऊँ, असमर्थता ने घेरा है !
आसमाँ ऊँचा,सागर गहरा,बहाना थोड़ा थोड़ा है!!
ले सबक नाकामी से,बेहतरी का सोचा है !
ख़ुद से शिकायत,ख़ुद से उम्मीद थोड़ी थोड़ी है !!
लाख ख्वाईशें भी,बाधाओं का अम्बार भी !
हार मिली, जीत मिली,प्रयास का संग न छोड़ा है!!
प्रयास कोई दिखावा नहीं,कोई इसका पैमाना नहीं!
जो हो पाये,वही अच्छा,ज़िद की ज़िद नही छोड़ी है!!
न शब्द,न भाषा - - विचारों ने हमेशा घेरा है!
बावला हुआ मन मेरा, अब कथा काव्य से जोड़ा है!!
- - -/ - - - / ----अलका माथुर
लाख मनाऊँ दिल को, ज़िद को कैसे छोड़ू मैं !
लगन कम न मेहनत कम, हिम्मत थोड़ी कम है !!
लाख हाथ पैर चलाऊँ, असमर्थता ने घेरा है !
आसमाँ ऊँचा,सागर गहरा,बहाना थोड़ा थोड़ा है!!
ले सबक नाकामी से,बेहतरी का सोचा है !
ख़ुद से शिकायत,ख़ुद से उम्मीद थोड़ी थोड़ी है !!
लाख ख्वाईशें भी,बाधाओं का अम्बार भी !
हार मिली, जीत मिली,प्रयास का संग न छोड़ा है!!
प्रयास कोई दिखावा नहीं,कोई इसका पैमाना नहीं!
जो हो पाये,वही अच्छा,ज़िद की ज़िद नही छोड़ी है!!
न शब्द,न भाषा - - विचारों ने हमेशा घेरा है!
बावला हुआ मन मेरा, अब कथा काव्य से जोड़ा है!!
- - -/ - - - / ----अलका माथुर
Wow... Too good
ReplyDeleteWow... Too good
ReplyDelete