Wednesday, 18 January 2017

ज़िद को कैसे छोड़ू (कविता)

                         ज़िद को कैसे छोड़ू

लाख मनाऊँ दिल को, ज़िद को कैसे छोड़ू मैं !
लगन कम न मेहनत कम, हिम्मत थोड़ी कम है !!

लाख हाथ पैर चलाऊँ, असमर्थता ने घेरा है !
आसमाँ ऊँचा,सागर गहरा,बहाना थोड़ा थोड़ा है!!

ले सबक नाकामी से,बेहतरी का सोचा है !
ख़ुद से शिकायत,ख़ुद से उम्मीद थोड़ी थोड़ी है !!

लाख ख्वाईशें भी,बाधाओं का अम्बार भी !
हार मिली, जीत मिली,प्रयास का संग न छोड़ा है!!

प्रयास कोई दिखावा नहीं,कोई इसका पैमाना नहीं!
जो हो पाये,वही अच्छा,ज़िद की ज़िद नही छोड़ी है!!

न शब्द,न भाषा  - - विचारों ने हमेशा घेरा है!
बावला हुआ मन मेरा, अब कथा काव्य से जोड़ा है!!

- - -/ - - - / ----अलका माथुर

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