Saturday, 11 March 2017

रंग पाशी (माथुरों में होली पर परिवारों का उत्सव)

होली के पांच दिन पहले रंगपाशि का त्योहार मनाया जाता है।कुछ लोग छोटी होली पर भी त्योहार मानते है।
पहले ज़माने में फागुन के गीत सुबह शाम गाये जाते थे ।इसकी ख़ास बातो में

1 - पूजा की जगह मटके में धुआं लगा कर बड़ो की कांजी लगाना।जिसको होली के दिन खोला जाता था।
2 - घर की सभी लड़कियो बहुओ आदि के लिए सफ़ेद कपडे को गुलाबी रंग कर गोटे सलमे से सजा कर डंडिया बनाया जाता था।जिसकी जगह प्रिंट ने ली और अब उसकी यादे ही है।
3 - बेटे दामादों के लिए भी कपड़े बनते ,रुमाल तो जरूर ख़रीदे जाते ।जिन पर शगुन का रंग छिड़का जाता और दामादों को रंग छिड़कने के तोहफे दिए जाते थे।
4 - भगवान जी को रंग छिड़का जाता और टेसू के फूल चढ़ाये जाते।हमारे घर तो रंग और टेसू की बोरी सब भगवान जी की पास जमा हो जाता था ।होली जला कर लौटेंगे तभी छूना होगा ,हिदायत दी जाती थी।
5 - गानो में भजन और होलियाँ खूब रंग जमाती।
6 - दावत और तरह तरह के पकवान इतने दिन पहले से शुरू हो जाती।एक एक कर सभी लोग इस तरह के आयोजन करते थे।

कब धीरे धीरे होली और रंग पाशी सब एक ही दिन होने लगा ,याद नहीं।अभी भी ज्यादातर माथुर घरों में पापड़ी,कांजी और गुझिये और भी बहुत सारी चीजें बनती है।
इस बार मैंने अपने ठाकुरजी की पोशाक रंग कर बनाई है ।

बड़ी अम्मा की होली भी लिख रही हूँ।
होली-  1 -

होली खेलें महादेव कैलाश पति....
ज्यो ही महादेव ने रंग बनाया
तो छिड़क रहीं गोऱा पार्वती....
ज्यो ही महादेव ने भंग बनाई
तो चाख रहीँ गोऱा  पार्वती...
ज्यो ही महादेव ने फ़ाग रचाया
तो नाच रहीँ गोऱा पार्वती.....


2 -
चैत ही चैत  चतुर भुज ,कब आएगी होली.....
चैत ही चैत चतुर्भुज,किसके आँगन फ़ाग ,किसके घर होली....
बाबू ...( नाम)......के घर फागुन...
उनके बेटा बेटी के घर होली.....

घर के सभी लोगो के नाम से ये होली गाई जाती थी।

3 -
 होली खेलों री राधे सम्हाल के..
छिप छिप के आते है बांके बिहारी
हँस हँस के लेंगे बलैयां तुम्हारी
गोरे गालों पे रंग डाल क़े....

शर्मा के राधा यो मोहन से बोली
छोड़ो जी बईया ये कैसी है होली
पाले पड़ी हूँ नन्द लाल के.....

बहुत सारी मधुर यादे है।
होली सबको मुबारक हो।


1 comment:

  1. बहुत सुंदर Happy Rangpashi

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