ज़िन्दगी सड़क पर
कल सड़को का निशान नहीं था
मदमस्त राही, फिरा करता था
गाड़ी घोड़े बाधाएं कम थी
जान बुझ भटकाव नहीं था।
सड़कें ही सड़कें बिछी हैं
चलने को जगह नहीं
बंपर संग बम्पर सरक रहे
बड़े शहर की निशानी है।
सुपर स्पीड की गाड़ी आई
उनके मुताबिक सड़क बनाई
रूल बनाये,नियम न माने
स्टेंस, बड़ बड़,बी पी बढ़ गये।
मुँह लपेटे लड़के लड़की घूमें!
छिपाये पहचान बेचें लाज शर्म की
लेफ्ट से राईट से 100 की स्पीड से
गति को माने सबसे महत्त्व की।
किसकी गलती किसने नाबालिक को
दे दी होगी इतनी तेज सवारी
रफ़्तार,दिखावे को, मरने तक की धमकी
हर तरकीब इन्होंने सदा अपनाई।
ट्रैफिक पुलिस जगहजगह पर
किस किस को रोके समझाये भाई!
सही लेन में सिग्नल पर इन्तजार
बचो,लेन बदले है दूसरे अनाड़ी।
स्केल नाप बीचोंबीच चलेंगे
मज़ाल ओवरटेक करसको
हेड फोन कान में डाले तिकड़ी प्यारी
नहीं चल सके रत्ती होशियारी।
सड़क बेजान,हम राहगीर
हमारे सफर ,हमारी मंजिले
सम्वेदनायें हमारी बदलती
खुशियों संग गम की भी राहे
यही चलती ,यहिं जाती।।
-------/----/-////-------------//-
अलका माथुर
No comments:
Post a Comment