Tuesday, 28 March 2017

कविता (उत्तर दक्षिण)

कुछ चाह सही, कुछ राह सही
तेरी उत्तर  मेरी   दक्षिण..
हाथों में हाथ सही,साथी तेरा साथ सही!!
दुख नही,मज़बूरी नहीं,साथ की आस सही
खुशियों की तलाश किसको होगी..
हमारा संग होने का एहसास सही!!
सिद्ध कुछ भी करना ही नहीं
उपलब्धियां किसकी,निर्णय किसके
सुख,शान्ति,सहभागिता सर्वोपरि !!
आहुति भी,अग्नि परीक्षा भी..
साथ साथ जीवन साथी प्यार भी,तकरार भी
कलह नहीं,गृह युद्ध नहीं,अधिकार की दरकार नहीं
जीवन जीना किसी नियम का मोहताज नहीं
गति, गंतव्य ,चाहें, इच्छाये किसकी नहीं?
जितनी धड़कन उतना ही मिलता साथ सही!!!

-----------//-------अलका माथुर
29.3.2017

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