छठ - माता सीता के घर जनकपुरी में भी मनाये जाने वाले इस बहुत मुश्किल और महत्त्व के व्रत का जिक्र कर रही हूँ।भारत में, बिहार में ख़ास तौर से मनाया जाता है ,दीवाली के बाद कार्तिक माह की छट तिथि का यह व्रत चार दिन की तपस्या से पूर्ण होता है।नेपाल में भी इसी विधि विधान से मनाया जाता है।
भिलाई एक ऐसी जगह है जहाँ सभी प्रान्त के लोग रहते है और हर त्यौहार को बड़े उत्साह से मानते है।
कई लोग परेशानी के वक्त मन्नत माँग लेते है और व्रत उठा लेते है सूर्य भगवान और उनकी पत्नी छठी माता की महरबानी और आशीर्वाद से मन्नत पूरी हो जाने पर पुश्तों तक नियम का पालन जरूर करते है।
श्रद्धा और भक्ति हर मन्नत के साधक और पूरक है।
कब - कार्तिक माह की छट को
- कोई कोई होली के बाद भी चैती छठ पूजते है
चार दिन तक की साधना
1 - नया खाय -अरवा अरवाइन् -
कददू या लौकी और चावल का भोग, गंगा स्नान के बाद एक बार खाते है।
जिस घर में एक भी सदस्य व्रत कर रहा होता है नियम घर के सभी लोग पालन करते है ।घर में तामसिक भोजन नहीं लाया और खाया जाता है।
2 - खरना या खीर रोटी
सुबह से पूजा अर्चना के साथ खीर बनाने की तैयारी होती है ।
नया चूल्हा आँगन लीप कर बनाते है।
खीर -
1 कप नया चावल
3 लीटर दूध
1 1/2 कप गुड़
दूध को धीमी आंच पर पकने रख दें।
भीगे चावल डाल कर चलाते रहें।
जब खीर पक जाये ,आंच से निचे उतार कर रखें।
कुछ देर बाद ही गुड़ को बारीक़ काट कर या फोड़ कर डाले नरम हो जाने पर ही चलायें।
इसी तरह नहा धो कर शुद्धि से खीर रोटी का भगवान को भोग चढ़ाते है और सबको खिला कर खुद खाते है ।
खीर और रोटी शाम को खाते वक्त कोई भी आवाज़ नहीं सुनाई देनी चाहिए ।गलती से भी आवाज सुन लेने से खाना उतने पर ही छोड़ देते है व्रत करने वाले!
ये प्रसाद जितने लोगो को दिया जाये उतना शुभ होता है।
कुछ घरो में बहुत सारे परिवारों को भोज कराने का भी रिवाज़ है जिसमें खीर /रोटी पूरी के साथ बिना प्याज की सब्जियां हो सकती है।
3- खरना के बाद से निर्जल उपवास होता है।
डूबते सूरज कोअर्क - शाम को डूबते सूरज की पूजा होती है।जिसकी कई विशेष बाते है।
1 - नए सुप या टोकनी में चढ़ावा रखा जाता है।
2 - सब चढ़ावे का सामान सुप में रखा जाता है।
जितने भी फल ,दिए और ठेकुवा ,फूल अदि सबको सुप में रखा जाता है।
कई सुप भर कर भी चढ़ावा हो सकता है।
3- जो भी चढ़ावा हो सभी को हाथ में ले कर कमर तक पानी के अंदर खड़े हो कर पूजा और परिक्रमा करना होता है।परिवार के लोग भी गंगा में खड़े हो कर साथ दे सकते है।
उगते सूर्य को अर्क -
इसी तरह सूर्य उदय के समय भी गंगा में कमर तक पानी के अंदर खड़े हो कर सूर्य भगवान की पूजा होती है।
40 घंटे के बाद ही शुद्ध रसोई बना कर व्रत खोला जाता है।
माता छठी (सूर्य भगवान की पत्नी ) सब पर कृपा करें !!
जय छठी माता की !!
खीर