Wednesday, 2 November 2016

गणेश जी की कथा

एक बिन्दय बाबा चुटकी में चावल और चम्मच में दूध ले कर गांव गांव सबसे कहते ,घूमते थे की कोई खीर बना दे ।
सब हँसते उन पर और इधर उधर चल पड़ते थे।एक बुढ़िया ने कहा ,"ला बेटा में बना दू तेरे लिए खीर "
बाबा खुश हो गए बुढ़िया से कहा जाओ सारे गांव को खीर का न्योता दे दो और जो सबसे बड़ी कढ़ाई हो उसको ले आओ।
बुढ़िया ने जो भी बाबा ने कहा करती गई।बड़ी कढ़ाई आने पर बाबा ने बुढ़िया से सिद्ध दाता जय गणेश कह कर आग जलाने कहा जो झट से जल गई,कढ़ाई में दूध डालते ही वह ऊपर तक भर गई और चावल डालते ही खीर बनने लगी।
पुरे गांव के लोगो ने पेट भर खीर खाई।कढ़ाई फिर भी भरी की भरी थी।
बुढ़िया की बहू को लगा ये चमत्कारी बाबा सब खीर ले न जाये बाद के लिए भी छिपा लू ,उसने भगोना भर कर चूल्हे के पीछे खीर छिपा ली।
सबको खिलने के बाद बुढ़िया ने बाबा को भी खीर खाने को कहा, वो बहुत खुश थी उसके पास खाने को नहीं था उल्टा उस दिन वो सबको खीर खिला रही थी।
बाबा ने पहले माँ तू भी खा ले कह कर बुढ़िया को भी खाने कहा और अंत में जब खुद खाने लगे तो कहा - मै चोरी की खीर नहीं खाता ,पहले जो छिपा कर राखी है वो ले आओ ।
बिन्दय बाबा के खीर खाते ही सारी खीर समाप्त हो गई।
जाते वक्त उन्होंने बुढ़िया को आशीर्वाद दिया - तू बहुत अच्छी है जो भी कार्य गणेशजी का नाम लेकर शुरू करोगे सब सिद्ध होंगे !!
श्री गणेशाय नमः

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