Monday, 7 November 2016

बाकी है जहाँ

बाकी है जहाँ

हजारों हसरते जहन में,घर बसाये बैठी है
विश्राम न लू ,जीवन में कभी
पहले ही घुट न जाये दम !
कोई और चले मेरी राह
हसरतो के संग,उम्मीद अभी बाकी है!!

तुलसी,कबीर,पेमचंद न बसा पाये मेरा घर
वही हम,वही धर्म,वो ही समाज
हर युग में राम और रावण
अर्जुन भी, कृष्ण भी, गीता के उपदेश भी
महाभारत के बीच - राम राज्य की सोच बाकी है!!

सावन पतझड़ दोनों आयेंगे ,पत्ते सारे झड़ जायेंगे
कोंपल नई जरूर निकलेगी
कलियाँ निरन्तर खिलती रहेंगी
पेड़ सूख भी जाये तो क्या!
सूखी डाली,पक्षियों का बसेरा अभी भी बाकी है !!


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