Wednesday, 26 October 2016

दीवाली पर कही जाने वाली कहानी (1)

कहानी-
एक भाट के घर खाने को कुछ नहीं था।बिलकुल ख़ाली बर्तन रखा था।घर के सब लोग दुखी हो रहे थे ।
साल भर बाद दीवाली का त्योहार आया था और उनके पास कुछ साधन नहीं थे। भाट की माँ ने कहा,"काम मिले या न मिले ! कोई भी ख़ाली हाथ घर वापस नहीं आएगा !
अगले दिन दीवाली ,तीनो लड़के काम करके पैसे लाने को चल दिए ,काम नहीं मिला,दिन भर इधर उधर भटकते रहे।जब अँधेरा होने लगा,बड़े लड़के को कोई चीज़ न मिली हो सोचने लगा ,घर क्या ले कर जाये ? आखिर में वो गोबर ही ले कर घर आ गया।
माँ ने कहा बाहर रख दो। दूसरा बेटा भी काम नहीं मिलने से निराश घूमता रहा, कुछ न मिलने पर ,आम के पेड़ के निचे बैठा सोच रहा था ,आखिर वो भी सिर्फ आम के पत्ते ही ले कर घर पहुच गया ।झोंपड़ी के बाहर ही दोनों ने रख दिया और माँ को बता दिया की हो लोग ख़ाली हाथ नहीं आये है।माँ ने कहा जो भी है बाहर रख दो।
छोटा लड़का भी काम चोर था इधर उधर घूमता रहा शाम होने पर भूक भीं सताने लगी और माँ का संदेश भी यद् हुआ ! उसकी नज़र एक मरे हुए सांप पर पड़ी,वो उसको ही उठा कर घर ले आया। माँ नराज़ नहीं हुई उसने कहा "झोपड़े के छप्पर पर डाल दो ।
इधर रानी स्नान कर रही थी और उनका ज़ेवर भी वहीँ रखे थे।एक चील ऊपर उड़ रही थी ,वो रानी हार को अपने पंजो में दबा कर उड़ गई।
उड़ते उड़ते उसे भाट के झोपड़े पर पड़ा सांप दिखा,चील हार को वही छोड़ कर सांप को चोंच में पकडे उड़ गई।

दीवाली के दिन भाट के घर माँ बहुत सुबह से घर द्वार साफ करने लगी ,लिप पोत कर उसने सोचा मृत सांप को भी हटायें ,तो उसकी आँखे चोधिया गई, वहाँ तो चमचमाता हिरे पन्ने जड़ा सोने का हार था ।
राजा ने ढिढोरा पिटवा दिया ,जो भी रानी का हार लाएगा या पता बताएगा उसको मुँह माँगा इनाम मिलेगा।
ख़बर भाट के घर भी पहुँच गई ,माँ ने अपने लड़को को राजा के पास भेजा कहा ," राजा से कहना हार देने की एक शर्त है,आज दीवाली की रात पुरे राज्य में सिर्फ भाट के घर रौशनी होगी!" यही कहते रहना - या दिया राज घर या दिया भाट घर !
लड़को को लालच और आश्चर्य हो रहा था माँ को हार मिल चुका तो धन की जगह दिया रौशनी क्यों मांग रही थी!
राजा ने उनकी शर्त मान ली,ढिढोरा पीटा गया की इस दीवाली पुरे राज्य में अँधेरा रहेगा सिर्फ भाट के घर रौशनी होगी।
रात को जब लक्ष्मीजी आई उन्होंने देखा सब जगह अँधेरा ,एक ही झोपड़ी जगमग हो रही है। वो वही जाने लगी भाटअन ने उन्हें रोक लिया ,"कहो आउंगी तो कभी जाउंगी नहीं"।
लक्ष्मीजी मान गई ।उस दिन से उनके दिन बदल गए।धन- धन्य और वैभव सब मिल गया।

इसके बाद   -  जैसे लक्ष्मीजी उनके घर आई सबके घर आये और सब खुश रहे!!

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