बचपन में जो कहानियों को हम हर बार सारे त्योहारों पर सुनते थे ! बहुत अच्छी लगती इन कहानियों का मतलब अब समझ आता है।
- रास्ते में तुमको चार बुढ़िया मिलेंगी 1 - नींद 2 - आस 3 - भूख़ 4 - प्यास
वो गंदे कपड़ो और धूल में लथपथ होंगी ,परन्तु उनसे घिन न करना ।
उनके पैर छू कर आशीर्वाद लेना ,बस उनका आशीर्वाद ही तुम्हारा कल्याण कर सकता है।
- राजा ने माँ की सीख का पालन किया और चारों का सम्मान किया और उसके बाद से राजा का विजय पथ उजागर हो गया।
यह बात कितनी महत्वपूर्ण ,सत्य ,सार्थक और सबको ऊपर सामान रूप से लागु होने वाली है।
आशा ही छोड़ दी तो कुछ नहीं बचा,मेहनत, कर्म और सफलता आशा के बीज से ही पैदा होते है।
नींद ,भूख और प्यास जिन्दगी का आधार है।
गन्दी हालात का ज़िक्र शायद - यही होगा कि इंसान को कम महत्त्व की लगने वाली ये बातें ,नकारने लायक नहीं है !घूल यानि पृथ्वी से ही उदय और अन्त निहित है।
सब लोगों को मैं - जीवन में उनकी आशा हमेशा पूरी हो इसका आशीर्वाद देती हूँ !
कामना करती हूँ - सभी की भूख, प्यास और नींद हमेशा उनको सेहत ,सुख और शांति प्रदान करें।
हमको अपनी रीति रिवाजों में हर प्रसंग में गूढ़ अर्थ देखने की जरुरत है।
गुलगुले या पुए बनाने के पीछे भी कारण है ! लंबे अंतराल के बाद अधिक ऊर्जा मिलने वाला पुआ सही होगा!!
पुए बनाने के लिए
1 कप आटा
1/2कप चीनी
1/2कप पानी
1 चम्मच दही
एक चुटकी इलायची पाउडर
कुछ लोग सौंफ और मेवा भी मिलाते है जो पसंद हो ले सकते है।
तलने के लिए तेल
चीनी या गुड़ जो भी लें उसको बराबर के पानी में घोल लें ।
इसमें दुगनी मात्रा का आटा मिलायें।
अच्छी तरह फेटें और दही व इलायची मिलायें।
तेल को तेज़ गरम करें और उसमे हाथ से पकौड़ी नुमा पुए तेल में छोड़ते जाएं।
धीमी आंच करके सेकें और निकाल कर इस्तेमाल तक ढक कर रखें ।
बढ़िया नरम गुलगुले या पुए तैयार है।
- रास्ते में तुमको चार बुढ़िया मिलेंगी 1 - नींद 2 - आस 3 - भूख़ 4 - प्यास
वो गंदे कपड़ो और धूल में लथपथ होंगी ,परन्तु उनसे घिन न करना ।
उनके पैर छू कर आशीर्वाद लेना ,बस उनका आशीर्वाद ही तुम्हारा कल्याण कर सकता है।
- राजा ने माँ की सीख का पालन किया और चारों का सम्मान किया और उसके बाद से राजा का विजय पथ उजागर हो गया।
यह बात कितनी महत्वपूर्ण ,सत्य ,सार्थक और सबको ऊपर सामान रूप से लागु होने वाली है।
आशा ही छोड़ दी तो कुछ नहीं बचा,मेहनत, कर्म और सफलता आशा के बीज से ही पैदा होते है।
नींद ,भूख और प्यास जिन्दगी का आधार है।
गन्दी हालात का ज़िक्र शायद - यही होगा कि इंसान को कम महत्त्व की लगने वाली ये बातें ,नकारने लायक नहीं है !घूल यानि पृथ्वी से ही उदय और अन्त निहित है।
सब लोगों को मैं - जीवन में उनकी आशा हमेशा पूरी हो इसका आशीर्वाद देती हूँ !
कामना करती हूँ - सभी की भूख, प्यास और नींद हमेशा उनको सेहत ,सुख और शांति प्रदान करें।
हमको अपनी रीति रिवाजों में हर प्रसंग में गूढ़ अर्थ देखने की जरुरत है।
गुलगुले या पुए बनाने के पीछे भी कारण है ! लंबे अंतराल के बाद अधिक ऊर्जा मिलने वाला पुआ सही होगा!!
पुए बनाने के लिए
1 कप आटा
1/2कप चीनी
1/2कप पानी
1 चम्मच दही
एक चुटकी इलायची पाउडर
कुछ लोग सौंफ और मेवा भी मिलाते है जो पसंद हो ले सकते है।
तलने के लिए तेल
चीनी या गुड़ जो भी लें उसको बराबर के पानी में घोल लें ।
इसमें दुगनी मात्रा का आटा मिलायें।
अच्छी तरह फेटें और दही व इलायची मिलायें।
तेल को तेज़ गरम करें और उसमे हाथ से पकौड़ी नुमा पुए तेल में छोड़ते जाएं।
धीमी आंच करके सेकें और निकाल कर इस्तेमाल तक ढक कर रखें ।
बढ़िया नरम गुलगुले या पुए तैयार है।
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