Friday, 21 October 2016

दीवले (माथुरों में दीपावली में बनने वाला वयंजन)

नरकचोदस पर गुसलखाने में दिया रख कर नहाते हैं। सारे घर आँगन की धुलाई होती है और गोदी में दीवले और पापड़ी खाने के लिए दी जाती है।
दीवले बनाना आसान है अगर दादी लोगो को बनाते देखा हो !
अम्माजी कहती थी- 1 सेर में एक छटाँक मोयन डाले है ,जिसका मतलब है की आज के नाप से हर किलोग्राम में 100 ग्राम !

दीवले बनाने के लिए

4 कप मैदा या 500 ग्राम मैदा
4 तेल वाले चम्मच तेल या 50 ग्राम तेल या घी का मोयन
बहुत कम पानी 1/2कप
तलने के लिए घी या रिफाइन्ड तेल

पागने के लिए
1/2कप पानी
2 कप चीनी

20 - 25 मिनिट लगेंगे

मैदा में 50 ग्राम रिफाइन्ड डाले और दोनों हाथों से रगड़ कर अच्छे मिलायें।
जब सारा मैदा एक सामान हो जाये,मैदा के लड्डू बन सकें ,बहुत थोडा पानी डाले।
एक दम टाईटमैदा मले।रख कर नरम पड़ जाता है।
तलने के लिए घी या रिफाइन्ड गरम करें।
मैदा को मोटा बेले और छोटे छोटे किसी कटर से गोल आकर काट लें।चाकू से छेद करें जिससे फूले नहीं।
इन गोलों को स्पंज पर रख कर बीच से दबा कर और एक सिरे पर छोटा सा फोल्ड कर के दिए का आकर बना लें।
माध्यम आंच करके हल्का सुनहरा होने तक सेकें।तेज आंच पर जल्दी सेंकने से नरम पड़ जायेगे,नरम न हो खूब खस्ता होने चाहिए।
सब सेक कर ठंडा होने दे।

चीनी और पानी को एक बड़ी कड़ाई में चढ़ाये जिसमें सब दीवले आ सकें।
चीनी घुल जाने पर तब तक पकने दें जब किनारे से जमने सी लगे ।5 मिनिट लगभग तेज आंच पर लगते है।
आंच धीमी करें और तले हुए दिवलो को चाशनी में डाले और लगातार चलाते रहें।
आंच से हटाने के बाद भी चलाते रहें वर्ना सब आपस में चिपक जायेगे।
मीठे और कुरकुरे दीवले तैयार है।




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